Social Media Fake News problems in Hindi | सोशल मीडिया (Social Media) दोधारी तलवार :- कही हम भी फेक न्यूज़  फैलाने में सहायक तो नहीं।  

सोशल मीडिया (Social Media) एक ऐसा माध्यम बन चुका हैं। जिसका प्रयोग प्रत्येक क्षेत्र में जैसे कि व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति , समाचार , जॉब कैरियर , आदि में बहुत बड़े स्तर पर हो रहा हैं।Social Media Fake News problems in Hindi 

 सोशल मीडिया और उसकी महत्त्ता व झूठी खबर की समस्या (Social Media Fake news in Hindi)

सोशल मीडिया को दोधारी तलवार कहने का तात्पर्य –

*सोशल मीडिया में इतनी ताकत हैं कि ये किसी व्यापार में बढ़ोतरी सकती है अगर चाहे तो उसको बड़ा नुकसान भी दे सकती है। हमने बड़े बड़े असहयोग अभियान सफल होते देखे है तो वही बड़े बड़े सहयोग अभियान भी सफल होते देखे हैैं।
*  सोशल मीडिया नेताओ की छवियों को चमकाने या किसी की छवि को धूमिल करने का काम भी कर सकता हैं।
* जहाँ सोशल मीडिया आज दो इंसानों के प्यार के इज़हार का माध्यम भी हैं तो वही किसी व्यक्ति के शोषण का कारण भी बन जाता हैं।
* सोशल मीडिया किसी आपदा में सहायता पहुँचाने में सहायक भी हो जाता हैं और कभी कभी गलत अफवाह फैलाने के कारण सहायता में अवरोध भी बन जाता हैं।
* अनेक व्यक्ति अपनी प्रतिभा का सकारात्मक प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया से कमाई भी कर रहे है जैसे youtube , ब्लॉग आदि ।
वही कुछ शातिर व्यक्ति अपनी प्रतिभा का गलत प्रयोग करके सोशल मीडिया के माध्यम से किसी के बैंक खाते को खाली भी कर देते हैं।
* सोशल मीडिया आज शिक्षा का भी बहुत बड़ा माध्यम बन चुका हैं। आज जटिल से जटिल कॉन्सेप्ट समझना हो तो विद्यार्थियों की एक पसंद सोशल मीडिया भी हैं।
आज शिक्षा से संबंधित सामग्री हमें घर बैठे मिल रही हैं। जैसे-  टेलीग्राम आदि।
वही दूसरी ओर आरोप ये भी लगता है कि सोशल मीडिया ने विधार्थियो की एकाग्रता पर भी दुष्प्रभाव डाला हैं।
सोशल मीडिया के इनसे अतिरिक्त अनेक लाभ और दुष्प्रभाव भी हैं।
इसीलिए हमने यहाँ सोशल मीडिया को दोधारी तलवार कहा हैं। ये हमारे ऊपर है कि हम सोशल मीडिया रूपी इस तलवार की कौनसी धार सामने रखते हैं। सकारात्मक कार्यो वाली या नकारात्मक कार्यो वाली।
आज अनेक ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है । जिन्हें देख कर ये सोचने में मजबूर होना पड़ता है कि आखिर कैसे इन बातों पर विस्वास किया जाए।
और कैसे लोग बिना सोचे समझे इनको आगे प्रेषित या कहे कि फॉरवर्ड करते जाते हैं।
किसी भी व्यक्ति को सभी विषयों पर पूर्ण ज्ञान नहीं होता हैं। परंतु सोशल मीडिया पर सभी विषयो जैसे – कानून , संविधान, व्यापार, स्वास्थ्य , अर्थव्यवस्था आदि विषयों पर गलत न्यूज़ बिना किसी रोकटोक लगातर चलती ही रहती हैं।  और हमे जिस विषय का ज्ञान भी नही होता है उससे संबंधित सूचना को भी आगे भेज देते हैं। इसे लापरवाही कहे या जागरूकता का अभाव कहें।

फेक न्यूज़ का प्रसार बढ़ने के कारण 

Reasons Behind Social Media Fake News

* न्यूज़ के पारंपरिक माध्यम आज समाज मे दिनप्रतिदिन अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं। उनपर ज्यादा समय राजनीतिक चर्चाएं ही चलती रहती हैं। जिससे ज्यादातर लोग न्यूज़ के लिए सोशल मीडिया की ओर रुख़ कर रहे हैं।
*  भारत  62 करोड़ के आस पास सोशल मीडिया उपयोगकर्ता मौजूद हैं।  इतने बड़े स्तर पर उपयोगकर्ता होने पर इसके दुष्प्रयोग के अवसर भी बढ़ते है।  जिससे फेक  न्यूज़ के प्रसार को बढ़ावा मिलता हैं।
* सोशल मीडिया पर अनेक ऐसे व्यक्ति भी मौजूद है जो किसी सूचना को पढ़ने के बाद,  5 सेकंड के अंदर ही उसको आगे फारवर्ड करना शुरू कर देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे सोशल मीडिया पर कोई प्रेषक सूची प्रतिस्पर्धा( sender list competition )  चल रही हो और इनको उस सूची में अपना स्थान निश्चित करने की ललक हो।
व्हाट्सअप , फेसबुक जैसे  सोशल मीडिया  माध्यमों पर  किसी भी सुचना को प्रेषित करना अत्यंत आसान होता हैं।
* आज एक बड़ा वर्ग दिन का ज्यादा समय सोशल मीडिया पर व्यतीत करने का आदी हो चूका हैं।
 * फेक न्यूज़ से सम्बंधित किसी कानूनी कार्रवाही का भय न होना।
* समाज में जागरूकता का अत्यंत अधिक आभाव।
* फेक न्यूज़ से संबंधित फ़ोटो, पोस्टर आदि को बनाना अनेक ऍप्लिकेशन्स की सहायता से बहुत आसान हो चुका हैं। बड़े बड़े चैनल का नाम बैकग्राउंड में लेकर ऐसे अनेक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं।

फेक न्यूज़ का दुष्प्रभाव 

 * ये ऐसी बाते नही है कि इनको  मजाक में लेकर छोड़ दिया जाए। आज सोशल मीडिया पर चल रही अनावश्यक बक़वास अनेक मामलों में घातक भी हो रही हैं। वर्तमान स्तिथि को ले तो पूरा विश्व आज कोरोना ( कोविड 19 , Covid – 19) महामारी से लड़ रहा हैं। अभी तक इसका एक मात्र उपाय जो वर्तमान में मौजूद है वो है वैक्सीनशन।
* परंतु सोशल मीडिया पर वैक्सीनशन को लेकर अनेक ऐसी अफवाहें मौजूद हैं जिन्होंने समाज के एक वर्ग के मन में वैक्सीन को लेकर एक गहरा डर बैठा दिया हैं। इसका दुरप्रभाव ये हो रहा है कि आज एक बड़ा वर्ग वैक्सीन लगवाने को लेकर तैयार नही हो रहा हैं।
* इसके अतिरिक्त भूतकाल में अनेक ऐसी घटनाएं हुई है जब भीड़ ने सोशल मीडिया से नकारत्मक रूप से प्रभावित होकर किसी व्यक्ति की जान ले ली , और अनेक बार सोशल मीडिया दंगो को भी भड़काने में सहायक  होती हैं।
* भारत में फेक न्यूज़ की ये समस्या एक बड़े स्तर पर सामाजिक अशांति का कारण बनती जा रही हैं।  अतः ये एक गंभीर सामाजिक चुनौती बन चुकी हैं।
* जिस देश में एक बड़े वर्ग में जागरूकता का अभाव हो वहाँ ऐसी अफवाहें देश और समाज के लिए एक बड़ा जोख़िम भी उत्पन्न कर सकती हैं।

फेक न्यूज़ से सम्बंधित इस समस्या को गंभीर रूप से लेने की आवश्यकता 

अतः सभी जागरूक और शिक्षित व्यक्तियों का ये कर्तव्य होता है कि ऐसी अफवाहों को अपने स्तर पर फैलने से रोका जाए। और जितना भी हो सके व्यक्तियों में जागरूकता लाने में कुछ न कुछ योगदान अवश्य दे।
वर्तमान परिदृश्य में ले तो  अगर आपके वैक्सीन लग गयी है तो आप अपने अनुभव साझा कर सकते है। जिससे लोगो को सच मालूम हो।
लोगों को ये भी बताए कि जिस फ़ोन से आप कोई सूचना फैलाते है उसी फ़ोन के सही  प्रयोग से आप उस सूचना की सत्यता की जांच भी कर सकते हो।
इन अफवाहों को रोकने में शिक्षित वर्ग , प्रशासन , समाज और सोशल मीडिया माध्यमों सभी की समलित भागीदारी होना आवश्यक हैं।
इन मुद्दों से संबंधित कानून बनना जितना आवश्यक है उससे कही आवश्यक है उस कानून का सही से लागू होना।
सोशल मीडिया अब इतना बड़ा क्षेत्र बन चुका है कि केवल एक कानून बनना काफ़ी नहीं होगा। उसमे समाज के सदस्यों को व्यक्तिगत तौर पर भी भागीदारी करनी होंगी।
इन मुद्दों से संबंधित अफवाहों को रोकने के लिए समय समय पर सतत रूप से जागरूकता से संबंधित अभियान चलाना बहुत जरूरी हैं।
ऐसे मुद्दों को जितनी जल्दी हो सके सरकार को  पाठ्यक्रम में शामिल करने के बारे में विचार करना चाहिए। स्कूल में अध्यापको को भी  इन मुद्दों से सम्बंधित जागरूकता लाने का प्रयास अपने स्तर पर करना चाहिए।  अब बच्चे बहुत काम उम्र में ही सोशल मीडिया का प्रयोग करने लगे हैं।

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